Hindi हिंदी क्षितिज-2

प्रश्न 2-7: भाव स्पष्ट कीजिए -
(क) बिहसि लखनु बोले मृदु बानी। अहो मुनीसु महाभट मानी।।
पुनि पुनि मोहि देखाव कुठारू। चहत उड़ावन फूँकि पहारू।।

उत्तर 2-7: इन पंक्तियों में लक्ष्मण अभिमान में चूर परशुराम स्वभाव पर व्यंग्य किया है। लक्ष्मण मुस्कुराते हुए कहते हैं कि आप मुझे बार-बार इस फरसे को दिखाकर डरा रहे हैं। ऐसा लगता है मानो आप फूँक मारकर पहाड़ उड़ाना चाहते हों।

प्रश्न 2-7:
(ख) इहाँ कुम्हड़बतिया कोउ नाहीं। जे तरजनी देखि मरि जाहीं।।
देखि कुठारु सरासन बाना। मैं कछु कहा सहित अभिमाना।।

उत्तर 2-7: इन पंक्तियों में लक्ष्मण ने परशुराम के अभिमान को चूर करने के लिए अपनी वीरता को बताया है। वे कहते हैं कि हम कुम्हड़े के कच्चे फल नहीं हैं जो तर्जनी के दिखाने से मुरझा जाता है। यानी वे कमजोर नहीं हैं जो धमकी से भयभीत हो जाएँ। वह यह बात उनके फरसे को देखकर बोल रहे हैं। उन्हें स्वयं पर विश्वास है।

प्रश्न 2-7:
(ग) गाधिसू नु कह हृदय हसि मुनिहि हरियरे सूझ।
अयमय खाँड़ न ऊखमय अजहुँ न बूझ अबूझ।।

उत्तर 2-7: इन पंक्तियों में विश्वामित्र मन ही मन मुस्कराते हुए सोच रहे हैं कि परशुराम ने सामन्य क्षत्रियों को युद्ध में हराया है तो इन्हें हरा-ही-हरा नजर आ रहा है। राम-लक्ष्मण को साधारण क्षत्रिय नहीं हैं। परशुराम इन्हें गन्ने की बनी तलवार के समान कमजोर समझ रहे हैं पर असल में ये लोहे की बनी तलवार हैं। परशुराम के अहंकार और क्रोध ने उनकी बुद्धि को अपने वश में ले लिया है।


प्रश्न 2-8: पाठ के आधार पर तुलसी के भाषा सौंदर्य पर दस पंक्तियाँ लिखिए।

उत्तर 2-8:
• यह काव्यांश तुलसीदास द्वारा लिखित रामचरितमानस के बालकांड से ली गयी जो अवधी भाषा में लिखी गई है।
• इसमें तत्सम शब्दों का प्रयोग भरपूर मात्रा में किया गया है।
• इसमें दोहा, छंद, चौपाई का अच्छा प्रयोग किया है।
• भाषा में लयबद्धता है।
• प्रचलित मुहावरे और लोकक्तियाँ ने काव्य को सजीव बनाया है।
• वीर और रौद्र रस का प्रयोग मुख्य से रूप किया गया।
• कहीं-कहीं शांत रस का भी उपयोग हुआ है।
• अनुप्रास, उपमा, रुपक, उत्प्रेक्षा व पुनरुक्ति अलंकार का सुयोजित ढंग से प्रयोग हुआ है।
• व्यंग्यों का प्रयोग अनूठा है।
• प्रसंगानुकूल भाषा का प्रयोग किया गया है।