हिंदी बसंत भाग 3

प्रश्न 3: पत्र लेखन की कला के विकास के लिए क्या-क्या प्रयास हुए? लिखिए।

उत्तर : पत्र लेखन की कला को विकसित करने के लिए स्कूली पाठयक्रमों में पत्र लेखन का विषय भी शामिल किया गया। केवल भारत में ही नहीं बल्कि विश्व के अन्य कई देशों में भी प्रयास किए गए। विश्व डाक संघ की ओर से 16 वर्ष से कम आयुवर्ग के बच्चों के लिए पत्र लेखन प्रतियोगिताएँ आयोजित करने का कार्यक्रम सन्‌ 1972 से शुरू किया गया।


प्रश्न 4: पत्र धरोहर हो सकते हैं लेकिन एसएमएस क्यों नहीं? तर्क सहित अपना विचार लिखिए।

उत्तर : पत्र लिखित रूप में होते हैं तथा पत्रों में आत्मीयता झलकती है इसलिए इन्हें सहेज कर रखा जाता है। पर एस.एम.एस में केवल कामकाजी बातें की जा सकती हैं इसलिए इन्हें लोग जल्दी ही भूल जाते हैं। एस.एम.एस को मोबाइल में सहेज कर रखने की क्षमता ज़्यादा समय तक नहीं होती है। परन्तु पत्रों के साथ ऐसी कोई समस्या नहीं होती है। हम जितने चाहे उतने पत्रों को धरोहर के रूप में समेट कर रख सकते हैं। जवाहर लाल नेहरू, महात्मा गाँधी, भगतसिंह आदि के पत्र आज भी संग्रहालयों में धरोहर के रूप में रखे हैं। पत्र देश, काल, समाज को जानने का असली साधन है।

प्रश्न 5: क्या चिट्ठियों की जगह कभी फैक्स, ई-मेल, टेलीफोन तथा मोबाइल ले सकते हैं?

उत्तर : प्रत्येक वस्तु का अपना एक अलग महत्व होता है। उसी प्रकार आज तकनीकी की दुनिया में भी चिट्ठियों की जगह कोई नहीं ले सकता है। पत्र लेखन एक साहित्यिक कला है परन्तु फेक्स, ई-मेल, टेलीफोन तथा मोबाइल जैसे तकनीकी माध्यम केवल काम-काज के क्षेत्र में महत्वपूर्ण हैं। आज ये आवश्यकताओं में आते हैं फिर भी ये पत्र का स्थान नहीं ले सकते हैं।