हिंदी बसंत भाग 3

प्रश्न 4: केवल पड़ने के लिए दी गई रामदरश मिश्र की कविता ‘चिट्ठियाँ’ काे ध्यानपूर्वक पढ़िए और विचार कीजिए कि क्या यह कविता केवल लेटर बॉक्स में पड़ी निर्धारित पते पर जाने के लिए तैयार चिट्ठियों के बारे में है? या रेल के डिब्बे में बैठी सवारी भी उन्हीं चिट्ठियों की तरह हैं जिनके पास उनके गंतव्य तक का टिकट है। पत्र के पते की तरह और क्या विद्यालय भी एक लेटर बॉक्स की भाँति नहीं है जहाँ से उत्तीर्ण होकर विद्यार्थी अनेक क्षेत्रों में चले जाते हैं? अपनी कल्पना को पंख लगाइए और मुक्त मन से इस विषय में विचार-विमर्श कीजिए।

उत्तर : ‘रामदरश मिश्र जी’ ने अपनी कविता ‘चिट्ठियाँ’ में यह बताना चाहा है कि लेटरबॉक्स में अनेक चिट्ठियाँ होती हैं कोई दुख की कोई सुख की लेकिन सभी अपने-अपने लिफाफों में बंद होती हैं। कोई अपना सुख-दुख दूसरे को नहीं कहती। सभी अपनी मंजिल पाना चाहती हैं अर्थात् अपने पते पर जाना चाहती हैं। यह एक-दूसरे का साथ भी क्या है कि जब हम एक-दूसरे से हँस-रो नहीं सकते। अंत में कवि ने अपने मुख्य विचार को दर्शाना चाहा है कि क्या हम भी इन चिट्ठियों की भाँति नहीं हो गए ऐसा कवि का कहना इसलिए है क्योंकि आज समाज में एक साथ रहते हुए भी हम एक-दूसरे से किसी प्रकार का कोई संबंध नहीं रखते, सभी आत्मकेंद्रित हो गए हैं। कवि का यह कहना कि रेल कं डिब्बे में बैठी सवारियाँ भी उन्हीं चिट्ठियों की तरह भी बिल्कुल सही हैं, क्योंकि वहाँ भी सभी लोग मिलकर बैठते तो हैं लेकिन मन में चाह कंवल मंजिल पाने की होती है। किसी से किसी का कोई संबंध नहीं होता। यदि संपर्क होता भी है तो वह स्थाई नहीं होता।
विद्यालय को पूरी तरह से लेटरबॉक्स की चिट्ठियों की भाँति नहीं कहा जा सकता क्योंकि विद्यालय में पढ़कर भले ही विद्यार्थी अपनी मंजिल की ओर बढ़ते हैं लेकिन विद्यालय में वे मेल-जोल, आपसी प्रेम, एक-दूसरे के प्रति समर्पण आदि की भावनाएँ सीखते हैं। वहाँ शिक्षक सदा उनकी निगरानी करता है, काफी हद तक उन्हें आत्मकेंद्रित नहीं होने देता। विद्यालय में नैतिक शिक्षा के द्वारा भी विद्यार्थी सामाजिक भावनाओं को समझता है लेकिन जब विद्यार्थी स्कूली जीवन के पश्चात् जीवन का बोझ अपने कंधों पर लादता है तो उसमें स्वार्थ की भावना अधिक जन्म लेने लगती है। आर्थिक परेशानियों से जूझते हुए वह आत्मकेंद्रित होता चला जाता है और चिट्ठियों की भाँति केवल अपने बारे में ही सोचने लगता है।